Monday 25 May 2009

एवरेस्ट को आसानी से जीता: मीन बहादुर

मीन बहादुर शेरचन ने 25 मई, 2008 को एवरेस्ट पर चढ़कर सबको अचंभे में डाल दिया था.
76 साल की उम्र में यह कीर्तिमान बनाने वाले वो सबसे वृद्ध व्यक्ति बने. इससे पहले यह रिकॉर्ड 71 वर्षीय जापानी अध्यापक कत्सूसूके यानागिसावा के नाम था.
अब वो एक और मुहिम पर निकले हैं. इसी सिलसिले में पिछले दिनों वो लंदन आए थे.
उनसे इस अभियान और उनकी एवरेस्ट की चढ़ाई के अनुभव के बारे में हुई विस्तृत बातचीत के अंश.
जब आपने एवरेस्ट की चढ़ाई करने का मन बनाया तो उसकी तैयारी किस तरह की?
सबसे पहले शारीरिक तैयारी करना आवश्यक था जिसकी शुरुआत मैंने पैदल यात्रा से की.
मैंने भारी गर्मी में काठमांडू से पोखरा की 200 किलोमीटर की यात्रा चार दिन के भीतर की. मेरी आयु तब 72 वर्ष की थी. उसके बाद मैंने नेपाल की पूर्वी सीमा से लेकर पश्चिमी सीमा तक 1028 किलोमीटर की यात्रा 20 दिनों में पूरी की.
क्या पर्वत की चढ़ाई करने के लिए पैदल चलने का अभ्यास ज़रूरी है?
एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए शारीरिक रूप से फ़िट होना बहुत ज़रूरी है. शारीरिक तैयारी के कई तरीक़े हैं जिनमें पैदल चलना भी एक है. इसके अलावा आपको आर्थिक तैयारी भी करनी पड़ती है क्योंकि चढ़ाई में काफ़ी पैसा ख़र्च होता है.
मैंने सोचा कि प्रकृति से संघर्ष करके नेपाल और विश्व मानव जाति के इतिहास में एक नया कीर्तिमान स्थापित करूं

मीन बहादुर शेरचन
चढ़ाई करते समय आपको किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. ऊंचाई पर ऑक्सीजन कम हो जाती है?
मुझे किसी तरह की कठिनाई नहीं हुई. मौसम अनुकूल था. जहां तक ऑक्सीजन का सवाल है उसकी ज़रूरत तो युवा पर्वतारोहियों को भी पड़ती है. इसलिए ऑक्सीजन तो सब साथ लेकर चलते हैं. एवरेस्ट पर बहुत ठंड होती है लेकिन वह तो प्रकृति की देन है, मुझपर उसका कोई असर नहीं पड़ा.
सेहत बनाने के लिए किस तरह का भोजन करना अच्छा रहता है, आप क्या खाते हैं?
मैं चावल नहीं खाता हूँ. रोटी खाता हूं और हमारे यहाँ मक्की के आटे का दलिया जैसा होता है जिसे ढीड़ो कहते हैं, वह खाता हूँ.
आपको यह विचार कब और कैसे आया कि एवरेस्ट की चढ़ाई की जाए?
इसका विचार कोई दस वर्ष पहले मेरे मन में आया. मैंने सोचा कि प्रकृति से संघर्ष करके नेपाल और विश्व मानव जाति के इतिहास में एक नया कीर्तिमान स्थापित करूं.
पर्वतारोहण से पहले आप क्या करते थे?
पहले मैं सेना में था. मैं कुछ साल ब्रिटिश सेना में भी रहा हूं. वैसे मैं अपने परिवार के व्यापार से भी जुड़ा रहा हूं.
एवरेस्ट की चढ़ाई के बाद अब आगे क्या करने का विचार है?
मैंन वादा किया था कि जब सगर माथा पर विजय प्राप्त कर लूंगा तो सामाजिक सेवा करूंगा.
मैं वृद्धाश्रम, मानसिक आरोग्य आश्रम, बालाश्रम और मानव मंदिर के लिए धन इकट्ठा करना चाहता हूं. इसी उद्देश्य से मैं लंदन आया हूं और दुनिया के अन्य देशों की यात्रा भी करूंगा.

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